Friday, December 16, 2022

ऐसा नहीं कि

ऐसा नहीं कि

उसे प्यार है मुझसे 

इसलिए डीलिट कर देती हैं

सारे मेसेज 

बल्कि डर है कि 

कोई ग़लत न समझ ले


ऐसा नहीं कि

उसे प्यार है मुझसे 

इसलिए रख देती है फ़ोन

जब कोई होता है आसपास 

बल्कि डर है कि

लोग क्या कहेंगे 


ऐसा नहीं कि

उसे प्यार है मुझसे 

इसलिए करती है

ढेर सारी बातें 

बल्कि डर है कि 

कोई डायरी न पढ़ ले


मैं?

मैं तो कुछ भी नहीं 

एक दृष्टा हूँ 

देखता हूँ, सुनता हूँ 

पढ़ता हूँ, लिखता हूँ 

केवल एक फ़्लाई ऑन द वॉल


मुझमें भावनाएँ कहाँ से होगी?

जो भी थीं, मार दी हैं सारी 

ताकि वह खुले में साँस ले सके

एक तो हो जिससे उसे डर न लगे


राहुल उपाध्याय । 16 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 

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