Friday, December 9, 2022

मैं कितना उदास हूँ

मैं कितना उदास हूँ 

यह मैं ही जानता हूँ 

उसकी उदासी की तो कोई सीमा ही नहीं है 

फिर भी वो आशान्वित है

मैं एक बार दुख सह सकता हूँ 

दोबारा वह राह पकड़ूँगा ही नहीं 

और वह है कि

फिर से कमर कस के तैयार है 


उसकी आशाएँ, उमंगें 

सारी लुट गईं 

उसकी आँखों के सामने

उससे उसका सपना

छीन लिया गया

फेंक दिया गया


किसी को दोष भी नहीं दे सकते

मन हल्का करने के लिए 

स्वीकारने के अलावा कोई चारा नहीं 


इस बार मैं हार गया

और उसने साबित कर दिया 

कि उम्मीदें कभी ख़त्म नहीं होतीं


मैं गीत लिख सकता हूँ 

कि ऐ मेरे दिल तू कोशिश तो कर

हार जाए तो क्या

हार ही पाए तो क्या

फिर से हिम्मत जुटाने की कोशिश तो कर

उन पर अमल नहीं कर सकता


राहुल उपाध्याय । 10 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 




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