मैं घर में ही रहता हूँ और घर जाने लगा हूँ
मैं जहाँ हूँ वहीं मंज़िल पाने लगा हूँ
है सब कुछ यहीं पर
यहीं है यहीं पर
मैं खुद को खुद से मिलाने लगा हूँ
नही और कोई दूसरा जहां है
जो है वो यही है
यहीं है यहाँ है 
मैं हर इक चीज को अपनाने लगा हूँ
न कोई मुझसे कहता है
न मैं किसी की सुनता
मैं अपने आप चिर-धुन गाने लगा हूँ
कोलम्बिया बेसिन के आसपास,
14 अप्रैल 2008
Monday, April 14, 2008
मैं घर जाने लगा हूँ
Posted by Rahul Upadhyaya at 7:10 PM
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1 comments:
है सब कुछ यहीं पर
यहीं है यहीं पर
मैं खुद को खुद से मिलाने लगा हूँ
bahut khuub!
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