Stress मिटाने वाले stress दे रहे हैं
सेमिनार attend करो जोर दे रहे हैं
जल्दी करो, जल्दी करो,
आखरी सेमिनार है
चले आओ, चले आओ,
क्या सोच, क्या विचार है?
Email से कैसे बचा जाए, बतला रहे हैं
Email भेज भेज कर, हमें समझा रहे हैं
30 साल से आप अपने आप जिए जा रहे हैं
लेकिन 'जीने की कला' वो अब समझा रहे हैं
स्कूल-काँलेज आदि में क्यों नहीं सीखा रहे हैं?
कमाने वालो का ही बस क्यों दिमाग खा रहे हैं?
क्यूंकि रकम मिले तगड़ी जहाँ वहीं जा रहे हैं
जीना अगर आ ही गया है तो क्यो न खुशी से जी पा रहे हैं?
नगर नगर लेक्चर-सेमिनार में क्यों धक्के खा रहे हैं?
क्यूंकि जीने के लिए पर्याप्त धन नहीं कमा पा रहे हैं
सांस लेना भी क्या कोई सीखने का काम है?
इसके लिए फ़ीस लेना सरासर कत्ल-ए-आम है
मनुष्य के डी-एन-ए में ये कला पहले से विराजमान है
सोना, जागना, रोना-धोना, खाना-पीना जिसमें प्रधान है
वेद और उपनिषद पर हिंदू को गर्व है अभिमान है
इन्हीं की आड़ में साधु-स्वामी रचते अभियान है
ये कलयुग की महिमा है ये कलयुग का ज्ञान है
इन लुटेरों के हाथों हो रहा तथाकथित उत्थान है
सिएटल,
23 अप्रैल 2008
Wednesday, April 23, 2008
Stress मिटाने वाले stress दे रहे हैं
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