ग़म भी तेरा मिले तो प्यारा है
चाँद-सितारों पे घर हमारा है
सारी दुनिया की तोहमतें सह कर
हमने अपना ये घर सँवारा है
तू ख़ुश-ख़ुश है आजकल जितनी
उतना ही ख़ुश ये जहान सारा है
हमको तुमसे है कब-कहाँ शिकवा
तू नहीं तो ये दिल बिचारा है
तेरे मिलने से है आज बेफ़िक्री
मैंने सब-कुछ जो तुझपे वारा है
राहुल उपाध्याय । 6 जनवरी 2025 । सिएटल
1 comments:
सुन्दर
Post a Comment