यार मेरा मुझसे आज जुदा हो गया
जो भी था पल भर में हवा हो गया
हँसता था वो
हँसाता था वो
बात बात पर गीत
गाता था वो
आज मुझे रोता छोड़ वो दफ़ा हो गया
न मेरी सुनता है वो
न मेरी मानता है वो
कर के ही रहता है
जो भी ठानता है वो
सोचा था क्या और ये क्या हो गया
मुझ पे मरना भी था
दुनिया से डरना भी था
हर कदम उसे
फ़ूंक-फ़ूंक के रखना भी था
कर्तव्य में जल प्यार फ़ना हो गया
सिएटल,
5 सितम्बर 2008
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फ़ना = विनाश
Friday, September 5, 2008
जुदाई
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:19 AM
आपका क्या कहना है??
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Labels: relationship, valentine
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2 comments:
bahut sunder likha hai ...man ko chu gaya hai..
मुझ पे मरना भी था
दुनिया से डरना भी था
हर कदम उसे
फ़ूंक-फ़ूंक के रखना भी था
कर्तव्य में जल प्यार फ़ना हो गया
क्या खूब लिखा है।
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