हिंदी ही है दुनिया की एकमात्र भाषा
जिसे करोड़ों कहते हैं अपनी मातृभाषा
हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर प्रस्तुत हैं 3 पहेलियाँ। तीनों पहेलियों के उत्तर से 'शुद्ध हिंदी' वालो को आपत्ति हो सकती है। क्योंकि वे शब्द या तो उर्दू के हैं या अंग्रेज़ी के या भोजपुरी के - शुद्ध हिंदी के नहीं। या ये कहूँ कि उनकी जड़ संस्कृत में नहीं है। मैं ये समझता हूँ कि ऐसे शब्दों से हिंदी समृद्ध होती है, नष्ट नहीं। चाहे कितनी ही नदियाँ सागर में मिल जाए, सागर नष्ट नहीं होता, भ्रष्ट नहीं होता, प्रदूषित नहीं होता।
1 -
झूम-झूम के नाचे आज ??? ?? (3, 2)
पढ़े यूनिकोड, नहीं पढ़े ?? ??? (2, 3)
2 -
जब भी कोर्ट में मुझसे ?? ?? करें (2, 2)
कहे कि आप ज़ब्त अपने ???? करें (4, 4)
3 -
और हाँ, ये रही वो ??? (3)
जिन पे खेलता था ?? ?? (2, 2)
उदाहरण:
क -
जब तक देखा नहीं ??? (3)
अपनी खामियाँ नज़र ?? ?(2, 1)
उत्तर:
जब तक देखा नहीं आईना
अपनी खामियाँ नज़र आई ना
ख -
मफ़लर और टोपी में छुपा ?? ?? (2, 2)
जैसे ही गिरी बर्फ़ और आई ??? (3)
उत्तर:
मफ़लर और टोपी में छुपा सर दिया
जैसे ही गिरी बर्फ़ और आई सर्दियाँ
अधिक मदद के लिए अन्य पहेलियाँ यहाँ देखें:
http://mere--words.blogspot.com/search/label/riddles_solved
शुद्ध हिंदी के विषय पर आप मेरा एक लेख और एक कविता यहाँ देख सकते हैं:
शुद्ध हिंदी - एक आईने में - http://mere--words.blogspot.com/2007/12/blog-post_03.html
बदलते ज़माने के बदलते ढंग हैं मेरे - http://mere--words.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html
Sunday, September 14, 2008
हिंदी दिवस -- 3 पहेलियाँ
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:01 PM
आपका क्या कहना है??
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6 comments:
हमें तो कुछ सूझ नहीं रहा-पढ़ेंगे जरुर जब लोग लिखेंगे...थोड़ा मन भी नहीं लगा पा रहे हैं.
badhiya paheliya hain?? aap batayenge tabhi pata lag paayega
राहुलजी, पहले वाले का उत्तर-
(अभी बाकी दो भी आने वाले हैं)
झूम-झूम के नाचे आज हमरो मन , (3, 2)
पढ़े यूनिकोड, नहीं पढ़े हम रोमन (2, 3)
जब भी कोर्ट में मुझसे जज बात करें (2, 2)
कहे कि आप ज़ब्त अपने जजबात करें (4, 4)
और हाँ, ये रही वो गर्मियां
जिन पे खेलता था गर मियां
बुन उधेड़
उधेड़ बुन
चुन चुन
मुन मुन
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