Wednesday, November 27, 2013

गणित शुभकामनाओं का

आजकल सब कुछ नपा-तुला मिलता है
चाय में चीनी से लेकर शुभकामनाओं तक


नये साल की हुई तो एक साल की मिलती है
और जन्मदिन की?
बस एक दिन!
मात्र एक दिन!
फ़क़त एक दिन!
सिर्फ़ एक दिन!


और सब के सब
उसी 24 घंटे की अवधि में
लगे रहते हैं
ताबड़तोड़ 'विश' करने में
ताकि
गलती से भी
बंदे का
जन्मदिन के पहले वाला दिन
या जन्मदिन के बाद वाला दिन
सुखमय न हो जाए


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फ़ेसबूक को आप
चाहे कितना ही बुरा-भला कह लो
पर एक बात तो है
कि इसकी मार्फ़त
कुछ लोगों ने 'विश' तो किया
जन्मदिन पर दो शब्द तो लिखें


लेकिन
एक बात ज़रूर खलती है कि
इसमें 'डियर-वियर' का कोई रिवाज़ नहीं है
पता ही नहीं चलता है
कि हम किसके 'डियर' हैं
किसके 'डियरेस्ट'
और किसके सिर्फ़ राहुल


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27 नवम्बर 2013
सिएटल । 513-341-6798

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3 comments:

Anonymous said...

आपने सही कहा कि ज़्यादातर लोग हमें जन्मदिन से पहले या बाद के दिन उतना याद नहीं करते हैं जितना जन्मदिन पर करते हैं। फिर भी मुझे लगता है कि अगर कोई हमें wish करता है - FB पर या किसी और तरह - तो इसी बात से खुश होना चाहिए कि किसी ने हमें याद किया, हमारे बारे में एक पल के लिए अच्छा सोचा - यही gesture काफी है।

Anonymous said...

This poem is indicates you to be bitter person. if a personn do more it still be less for you. Reading your blog tells you to be a negative person and fault finding one and are never happy at whatever you get.

Anonymous said...

Dear Friends, I am a regular follower of this blog. I humbly request all fellow readers to please not write personal comments about the poet. It does not feel right. We should continue providing feedback and constructive criticism on the poems that are published. Thank you!