वीसा नहीं था, वीसा मिला
देश को जैसे ईसा मिला
गाँधी गए, मोदी आए
गाँधी के गुजरात से आए
दारू नहीं, चाय पी के
बिन बीवी घर-बार चलाए
सरदार हटा के, सरदार को पूजे
मूर्ति के कीर्तिमान बनाए
असरदार तो थे ही मोदी
अब सरदार बन सरकार चलाए
दु:ख भरे दिन बीते रे भैया
अब सुख आयो रे
रंग जीवन में नयो लायो रे
श्वेत-वर्ण थो ये कमल
भगवा रंग पहनायो रे
मैया मोरी मैं-नहीं/मैंने-ही मोदी जीतायो रे
राजीव गाँधी-वी-पी सिंह,
केजरीवाल-जयप्रकाश नारायण
इन सबसे भी थी आस हमें
कर गए निराश हमें
इस बार क्या कुछ बदलेगा?
भ्रष्टाचार कम होगा?
अंधेरे में उजास होगा?
देश का विकास होगा?
या फिर हमेशा की तरह
शिक्षा-दीक्षा प्राप्त व्यक्ति
वीसा लेने के लिए
सुबह चार बजे कतार में होगा?
18 मई 2014
सिएटल । 513-341-6798
देश को जैसे ईसा मिला
गाँधी गए, मोदी आए
गाँधी के गुजरात से आए
दारू नहीं, चाय पी के
बिन बीवी घर-बार चलाए
सरदार हटा के, सरदार को पूजे
मूर्ति के कीर्तिमान बनाए
असरदार तो थे ही मोदी
अब सरदार बन सरकार चलाए
दु:ख भरे दिन बीते रे भैया
अब सुख आयो रे
रंग जीवन में नयो लायो रे
श्वेत-वर्ण थो ये कमल
भगवा रंग पहनायो रे
मैया मोरी मैं-नहीं/मैंने-ही मोदी जीतायो रे
राजीव गाँधी-वी-पी सिंह,
केजरीवाल-जयप्रकाश नारायण
इन सबसे भी थी आस हमें
कर गए निराश हमें
इस बार क्या कुछ बदलेगा?
भ्रष्टाचार कम होगा?
अंधेरे में उजास होगा?
देश का विकास होगा?
या फिर हमेशा की तरह
शिक्षा-दीक्षा प्राप्त व्यक्ति
वीसा लेने के लिए
सुबह चार बजे कतार में होगा?
18 मई 2014
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
कविता लंबी है और उसमें कई मज़ेदार aspects हैं। "सरदार" शब्द के multiple uses एक साथ होना बढ़िया लगा। गुजरात का connection भी अच्छा लगा।
दोनों भजनों का कविता में होना अच्छा है। "मैंने ही" और "मैंनहीं" कहकर आपने सबकी बात कहदी - जिन्होंने जीतनेवाले को vote डाला और जिन्होंने नहीं डाला।
कविता का अंत strong note पर हुआ:
"इस बार क्या कुछ बदलेगा?
भ्रष्टाचार कम होगा?
अंधेरे में उजास होगा?
देश का विकास होगा?
या फिर हमेशा की तरह
शिक्षा-दीक्षा प्राप्त व्यक्ति
वीसा लेने के लिए
सुबह चार बजे कतार में होगा?"
सवाल सही हैं। जवाब तो समय ही देगा।
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