दिन में धूप दिखती है
तो अजीब सी लगती है
ऐसा लगता है
जैसे मैं किसी फ़िल्म के सेट पर हूँ
या फिर
कुछ भूल रहा हूँ
शायद सब काम पर हैं
और एक मैं ही कामचोर हूँ
एक हल्की सी बेचैनी
और आशंका बनी रहती है
कि
कहीं आज शनिवार न हो कर सोमवार तो नहीं है
और मुझे काम पर जाना हो?
किसी खिड़की-रहित कांफ़्रेन्स रूम में बंद हो कर
ओपन डिस्कशन करना हो
अगले पाँच साल की योजना बनानी हो?
31 मई 2014
सिएटल । 513-341-6798
तो अजीब सी लगती है
ऐसा लगता है
जैसे मैं किसी फ़िल्म के सेट पर हूँ
या फिर
कुछ भूल रहा हूँ
शायद सब काम पर हैं
और एक मैं ही कामचोर हूँ
एक हल्की सी बेचैनी
और आशंका बनी रहती है
कि
कहीं आज शनिवार न हो कर सोमवार तो नहीं है
और मुझे काम पर जाना हो?
किसी खिड़की-रहित कांफ़्रेन्स रूम में बंद हो कर
ओपन डिस्कशन करना हो
अगले पाँच साल की योजना बनानी हो?
31 मई 2014
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
सही बात है - जब अक्सर बादल छाये रहते हों तो किसी दिन धूप का निकलना अजीब सा लगता है। Body और mind active हो जाते हैं और लगता है कि आज सच में छुट्टी है क्या? Long weekend के बाद shorter work week होने से भी यह लगता है। उस feeling की description बहुत funny लगी - "जैसे मैं किसी फ़िल्म के सेट पर हूँ"; "शायद सब काम पर हैं और एक मैं ही कामचोर हूँ" ; "एक हल्की सी बेचैनी और आशंका बनी रहती है" - so true! :)
एक और बात बहुत ही मज़ेदार लगी - conference room बंद है मगर discussion खुली करनी है - corporate world की irony :)
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