Tuesday, May 6, 2014
होंगे फ़ना कदमों में तेरे
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:18 PM
आपका क्या कहना है??
2 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: photo-op
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:18 PM
आपका क्या कहना है??
2 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: photo-op
2 comments:
सुन्दर रचना ...
भ्रमर 5
"होंगे फ़ना कदमों में तेरे
कहता था सनम हमेशा मुझे
रूकेगा कोई, खींचेगा फोटो
इसका न था इल्म ज़रा भी मुझे"
कविता का title और पहली lines अच्छी लगीं। "जड़" शब्द का अलग-अलग use बहुत meaningful है:
"मैं जड़ से हूँ निकला
लेकिन जड़ तो नहीं
शीशम के फ़्रेम में
न जड़ दो मुझे"
कविता के साथ photo का होना भी बढ़िया लगा!
Post a Comment