ये माना मेरी जां
मोदी जीते हैं
मगर इसमें इतना
गुरूर किसलिए है?
अमीरों के जलवे
गरीबों की पीड़ा
है जब तक जहाँ में
जश्न किसलिए है?
दो-दो जगह से
चुनावों में लड़ के
किया वोट-नोट जाया
हज़ूर किसलिए है?
करके वो शादी
रहते कुँवारे
ज़िम्मेदारी से भागे
निडर किसलिए है?
मुजरिमों के कर से
पहनते हैं माला
साधुओं सा स्वांग
मगर किसलिए है?
(कैफ़ी आज़मी से क्षमायाचना सहित )
25 मई 2014
सिएटल । 513-341-6798
मोदी जीते हैं
मगर इसमें इतना
गुरूर किसलिए है?
अमीरों के जलवे
गरीबों की पीड़ा
है जब तक जहाँ में
जश्न किसलिए है?
दो-दो जगह से
चुनावों में लड़ के
किया वोट-नोट जाया
हज़ूर किसलिए है?
करके वो शादी
रहते कुँवारे
ज़िम्मेदारी से भागे
निडर किसलिए है?
मुजरिमों के कर से
पहनते हैं माला
साधुओं सा स्वांग
मगर किसलिए है?
(कैफ़ी आज़मी से क्षमायाचना सहित )
25 मई 2014
सिएटल । 513-341-6798
3 comments:
कई लोगों के मन में उठने वाले सवालों को आपने एक मज़ेदार parody में डाला है! इन सवालों के कोई absolute जवाब नहीं हैं। हर citizen अपने beliefs के अनुसार जवाब ख़ुद ही ढूंढ लेगा। बस कोई अपने जवाब दूसरों पर force न करे...
"पल पल उठते प्रश्न हैं
हर प्रश्न इक आग
उत्तर उनका ना दिखे
धुआँ करे अहंकार"
"समय बदलता रहता है और प्रश्न तने रहते हैं
हज़ारों पैगम्बरों के बाद भी प्रश्न बने रहते हैं"
"प्रश्न कई हैं
उत्तर यही
तू ढूंढता जिसे
है वो तेरे अंदर कहीं..."
वाह! बहुत बढ़िया..
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