बर्फ़ चली गई और सर्दी छोड़ गई
मायनस 10 डिग्री सेल्सियस में ठिठुरता छोड़ गई
चलो, चलें कहीं और चलें जहाँ माहौल हो गर्म
मन-माफ़िक वातावरण के पीछे भागना मेरा धर्म
डार्विन का भी सिद्धांत कहे जो भागे वो बुलन्द
अमरीका जन्मा, भारत पनपा, भगोड़ा ने किया देश स्वतंत्र
नई पीढ़ी हमेशा आगे भागी
बूढ़े रहे फ़िसड्ड
जड़ से जुड़े जड़ कहलाए
और धीरे-धीरे जाए सड़
नाभि ना भी होती तो भी क्या न होता मेरा जन्म?
होता तो पर अपनी ही जड़ से मैं रहता अनभिज्ञ-अचेत
इसी नाभि ने
इसी जड़ ने
मुझे बार-बार दिया झकझोड़
जब-जब मैंने नया रिश्ता जोड़ा
और पिछले को दिया पीछे छोड़
1 दिसम्बर 2014
सिएटल । 513-341-6798
4 comments:
बहुत बढ़िया....
अनुलता
बहुत बढ़िया
बहुत खूब ...
रुकना nature का असूल नहीं है। कहते हैं: The only thing that is constant is change. लेकिन human nature bonds, attachments बनाती है। इसलिए वो detachment के साथ सब कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ नहीं पाती। पीछे छूटने वाले की खींच और आगे मिलने वाले के आकर्षण की conflict में human nature घिर जाती है। जिस नाभि से हमने जन्म लिया , जिन जड़ों ने हमें पहचान दी, उनसे attachment छोड़ देंगे तो अपनी पहचान खो देंगे और अगर उनसे जुड़े रहेंगे तो रूककर घुट जायेंगे। इस conflict में कौनसी choice सही है,इसका उत्तर सिर्फ हमारा दिल दे सकता है। इसलिए मुझे लगता है कि इन जवाबों को ढूंढने में हमें अपने दिल पर trust करना चाहिए, दिल की आवाज़ गलत नहीं होती।
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