घर आया मेरे परदेसी
मोदी ने अस्मिता बेची
उल्टे-सीधे अनुबंध लिखे
डॉलर के आगे करबद्ध दिखे
आदत है हमें झुकने की
न्यूक्लिअर प्लांट यहाँ होंगे
दूषित-कलूषित जवाँ होंगे
किसको पड़ी इनकी सेहत की
दिल्ली हवा को बुरा कह गया
झूठ कहाँ, वो सच कह गया
बदली छाई यहाँ बदले की
(हसरत जयपुरी से क्षमायाचना सहित)
27 जनवरी 2015
सिएटल | 513-341-6798
1 comments:
कविता में interesting शब्दों का चुनाव है : अस्मिता, अनुबंध, करबद्ध, दूषित-कलूषित
Last की lines simple हैं और उन में word-play अच्छा है:
"दिल्ली हवा को बुरा कह गया
झूठ कहाँ, वो सच कह गया
बदली छाई यहाँ बदले की"
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