ख़ामोश है ज़माना, चुप-चाप हैं सितारे
आराम से है मोदी, बेकल है दिल के मारे
ऐसे में कोई ओबामा, इस तरह से आ रहा है
जैसे कि पधार रहे हैं, ईश्वर कोई हमारे
टीवी चैनल वाले चीखें साँझ और सकारे
आएगा, आएगा, आएगा, आएगा आनेवाला, आएगा आनेवाला
अमरीका का चमचा भारत कैसे फुदक रहा है
कोई नहीं बताता पर गो-माँस पक रहा है
पनपेगा कैसे भारत बे-रीढ़ सर झुका के
बरसों पहले हमने गांधी सा नेता पाया
जिसने सादा जीवन जीना हमें सीखाया
अब कहाँ हैं वो लोग जो आँख से आँख मिलाए
भटकी हुई जवानी, मँज़िल को ढूँढती है
माझी बग़ैर नय्या, साहिल को ढूँढती है
चल देते हैं सब के सब इंग्लैंड-अमरीका के द्वारे
1 comments:
बहुत सही गाना चुना है parody के लिए - अच्छा लगा! President Obama का तो सच में बहुत बेसब्री से भारत में इन्तज़ार हो रहा है! मेहमान का इन्तज़ार करने को यह न सोचें कि भारत उनका चमचा है। जैसे भारत के leaders US जाते हैं वैसे ही वहाँ के leaders भारत आ रहे हैं। दोनों self-respecting देश हैं जो एक-दूसरे की leadership की respect करते हैं। किसी leader को ख़ुद को या दूसरे को अपने से कम या ज़्यादा नहीं सोचना चाहिए।
मेहमान की पसंद का खाना बनाना तो बहुत अच्छी बात है लेकिन beef बनाना भारत की traditional values के विरुद्ध है - मुझे पता नहीं अगर भारत के कुछ areas में beef खाया जाता हो।
"भटकी हुई जवानी, मँज़िल को ढूँढती है
माझी बग़ैर नय्या, साहिल को ढूँढती है"
यह lines बिना किसी change के कविता में एकदम fit हो गयीं और meaningful हैं और अंतिम line आपने अच्छी जोड़ दी है।
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