Friday, February 20, 2015

बुद्ध और गांधी



बेड़ियाँ काट कर
बेड़ा पार किया
तो क्या ख़ाक किया

मज़ा तो तब है
जब सबको
साथ लेकर चलो
और 
सबका उद्धार करो

20 फ़रवरी 2015
सिएटल | 513-341-6798

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1 comments:

Anonymous said...

कविता अच्छी है। सबको साथ लेकर चलना कठिन है मगर सही रास्ता है।