चमचों का, भक्तों का, सबका कहना है
नेक हज़ारों में मोदी अच्छा है
सॉरी, मगर, मुझे सच कहना है
ये न जाना मोदी ने मैं हूँ क्यूँ उदास
मेरी प्यासी आँखों में सुधार की है प्यास
कर ले कुछ काम ज़रा, कब तक बकना है?
सोनिया-मोदी दोनों हैं इक डाली के फूल
वो न लाई 'ब्लैक मनी', ये भी गए भूल
नीयतें हैं खोटी और किसको फँसना है?
किसी खूंखार शेर की तरह मुँह फुलाए आप
न्यू यार्क, सिडनी, टोरोंटो में गप्पें हांके आप
योगा की आड़ में कब तक ठगना है?
जबसे कुर्ते छोड़े और पहने सूट-बूट
तबसे विश्वास खोया और सपने गए टूट
पी-एम का काम क्या सजना-सँवरना है?
भारत के लोगों से यूँ डरते नहीं हैं
ऐसे बचके सच से गुज़रते नहीं हैं
कुर्सी की है चाह तो सच भी सुनना है
2 सितम्बर 2015
सिएटल । 425-445-0827
(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)
2 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 04 सितम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
Politics के बारे में तो मुझे ज़्यादा नहीं पता, पर आपने जिस तरह अपनी thoughts और concerns को original गाने में डाला है, वो style बहुत अच्छा लगा। सब कुछ naturally fit हो गया है। Original गाना बहुत प्यारा है।
Post a Comment