तुम इतना जो बड़बड़ा रहे हो
क्या विफलता है जो छुपा रहे हो?
बिहार में हार, वेम्ब्ली में भीड़
किस देश के हो, कहाँ छा रहे हो?
बाहर हो जाओगे, बाहर जाते-जाते
क्या ख़ाक सरकार चला रहे हो
बन जाएँगे बेड़ा गर्क के ये कारण
बार-बार जो जुमले देते जा रहे हो
आश्वासनों का खेल है राजनीति
आश्वासनों से मात खा रहे हो
(कैफ़ी आज़मी से क्षमायाचना सहित)
19 नवम्बर 2015
सिएटल | 425-445-0827
1 comments:
कविता नेताओं पर है। मुझे politics की knowledge नहीं है। मुझे तो सब elected leaders अच्छे लगते हैं, चाहे किसी भी party के हों। :) गाने के कुछ शब्द बदल कर आपने parody में humor के साथ अपनी views बतायी हैं - यह अच्छा लगा। Original गाना भी बहुत याद आया!
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