Saturday, July 20, 2024

नदी की हर बूँद

नदी की हर बूँद 

सागर से मिल नहीं पाती है 

मिट जाती है 

किसी की प्यास बुझाने में

सूखे दरख़्त को जीवन देने में 

कालिदास की शकुंतला के बाल धोने में

गर्मी में झुलसकर बादल बनने में 


क्या ज़रूरी है?

सागर से मिलना 

या कपड़े धोना?

मोक्ष प्राप्ति 

या स्याही को रंग देना?


राहुल उपाध्याय । 21 जुलाई 2024 । ऐम्स्टरडम


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