नदी की हर बूँद
सागर से मिल नहीं पाती है
मिट जाती है
किसी की प्यास बुझाने में
सूखे दरख़्त को जीवन देने में
कालिदास की शकुंतला के बाल धोने में
गर्मी में झुलसकर बादल बनने में
क्या ज़रूरी है?
सागर से मिलना
या कपड़े धोना?
मोक्ष प्राप्ति
या स्याही को रंग देना?
राहुल उपाध्याय । 21 जुलाई 2024 । ऐम्स्टरडम
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