Sunday, July 28, 2024

ख़ूबसूरती

हर शहर की ख़ूबसूरती 

दो चार इमारतों तक ही सीमित है उसके बाद 

फिर वही घर 

जिनमें टीवी है

किचन है 

कचरा है 

जूठे बर्तन हैं 


उन घरों में रहने वाले 

बाशिंदे 

इन इमारतों पर 

पल दो पल भी निगाह नहीं डालते हैं मवेशियों की तरह 

सुबह निकल जाते हैं 

और शाम को रम्भाते हुए 

लौट आते हैं 


हाँ, मनुष्य हैं 

सो घरों की दीवारों पर 

चीख-चीखकर कहते हैं 

कि देखो दुनिया कितनी ख़ूबसूरत है हम भी गये थे देखने 

तुम भी जाना


राहुल उपाध्याय । 28 जुलाई 2023 । द हैग 


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