मैं ये सोचकर उसको वोट दे रहा था
के वो जीत जाएगा, हरा देगा उसको
हवाओं से ऐसा लगता था जैसे
के वो जेल जाएगा, सब पूजेंगे इसको
केस पे केस उसपे चल रहे थे
नोमिनेशन न पाएगा भरोसा था मुझको
मगर क्या हुआ ये
भाग गया ये
चुनाव कहाँ ये
क्या हश्र हुआ ये
महीनों की मेहनत पे
पानी फिरा रे
बाक़ी बचे सौ दिन में क्या अब बनेगा
जो अब तक हुआ ना क्या हो रहेगा?
राहुल उपाध्याय । 22 जुलाई 2024 । ऐम्स्टरडम
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