Wednesday, April 9, 2008

मोह पद का

कल तक जो बाते करते थे फूल-पत्तें और चाँद-सितारों की
आज बातों-बातों में दुनिया खड़ी कर बैठे है दीवारों की

हर-एक बात से मतलब की बू आती है आज
कल तक कद्र करते थे जिनके विचारों की

कल तक जो नारें लगाते थे आज़ादी के
आज बात कर रहे हैं बहिष्कारों की

कल तक जो दावा करते थे खुले मंच का
आज टोलियां बना रहे है गिने-चुने यारों की

न्यू यार्क
9 अप्रैल 2008

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1 comments:

Alpana Verma said...

sahi vyangya kiya hai--yahi sthiti hai aaj ki-