मेरी कमी को मैंने ताक़त समझा
उसी कमी को उसने आदत समझा
होते रहते सबसे मतभेद मेरे
कभी न किसी को लानत समझा
आते जाते रहते ग़म सुबह-शाम
कभी न किसी को आफ़त समझा
जब भी किसी ने हिदायत दी
हिदायत को बस हिदायत समझा
(हिदायत = सलाह)
लड़ना-झगड़ना नहीं रग में मेरे
छोड़ दिया तो उसने बग़ावत समझा
राहुल उपाध्याय । 1 अगस्त 2021 । सिएटल
3 comments:
बगावत समझा .... बहुत खूब ।बेहतरीन ग़ज़ल
लड़ना-झगड़ना नहीं रग में मेरे
छोड़ दिया तो उसने बग़ावत समझा
.. बहुत खूब कही
मेरी कमी को मैंने ताक़त समझा
उसी कमी को उसने आदत समझा..गज़ब 👌
Post a Comment