Saturday, August 14, 2021

मैं तुझसे दूर, तेरे साथ

मैं 

तुझसे दूर

तेरे साथ 

इस अपार्टमेंट में रहता हूँ 


क्या है मेरा

क्या है तेरा

सब सोचता मैं रहता हूँ 


ये स्वेटर-जैकेट 

ये वॉकर-घड़ी 

ये अलेक्सा-दीपक

ये लड्डू-गोपाल-ये तीज-त्योहार 

सब बेमानी लगते हैं 


तू थी

सब था

तेरे बिन सब ख़ाली-खाली लगते हैं 


तुझे साथ ले

मैं आया था

तुझे साथ ले

मैं जाऊँगा 

यह पहली बार होगा जब 

तुझे न कहीं देख पाऊँगा 

मातृ-हीन उस वीरान देश में 

मातृ-हीन उस विशाल देश में 

तुझे बहा मैं आऊँगा 


क्या सैलाना के उस मंदिर में मैं 

एक दिन भी रूक पाऊँगा 

क्या दिल्ली, क्या रतलाम 

जहाँ भी मैं जाऊँगा

क्या तुझे नहीं मैं पाऊँगा 

दुनिया का है वो कौनसा कोना

जहाँ तुझे नहीं मैं पाऊँगा 


राहुल उपाध्याय । 14 अगस्त 2021 । सिएटल 


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1 comments:

आतिश said...

क्या तेरा है क्या मेरा हैं '
मान्यवर सुन्दर रचना ।
http:feelmywords1.blogspot.com