आज मुझे एक दुनिया मिली
कोई घर बदल रहा था
तो उसे लावारिस यूँही छोड़ गया था
मैंने उसे सीने से लगाया
अपने घर में
अपने घर को
सजाना चाहा
जैसा चाहूँ
वैसा क्या कर सकता हूँ?
सीलिंग से उसे क्यों
समानांतर रहना होगा?
क्यों आड़ा-तिरछा उसे मैं
लगा नहीं सकता?
कौनसा क़ानून है जो मैं तोड़ रहा हूँ?
काग़ज़ की दुनिया सम्हाली नहीं जाती
दुनिया को क्या मैं ख़ाक बदलूँगा?
राहुल उपाध्याय । 27 अगस्त 2021 । सिएटल
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