Friday, August 27, 2021

काग़ज़ की दुनिया

आज मुझे एक दुनिया मिली

कोई घर बदल रहा था

तो उसे लावारिस यूँही छोड़ गया था


मैंने उसे सीने से लगाया 

अपने घर में 

अपने घर को

सजाना चाहा


जैसा चाहूँ 

वैसा क्या कर सकता हूँ?

सीलिंग से उसे क्यों 

समानांतर रहना होगा?

क्यों आड़ा-तिरछा उसे मैं

लगा नहीं सकता?

कौनसा क़ानून है जो मैं तोड़ रहा हूँ?


काग़ज़ की दुनिया सम्हाली नहीं जाती

दुनिया को क्या मैं ख़ाक बदलूँगा?


राहुल उपाध्याय । 27 अगस्त 2021 । सिएटल 




इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: