Saturday, August 21, 2021

जीवन

जीवन जड़ में, जड़ जीवन में

परिवर्तित होता जाता है 

पृथ्वी घूमे, हम भी झूमें

जग आनंदमय हो जाता है 


किसकी किससे प्रीत यहाँ पर

सब क्षण-दो-क्षण के नाते हैं

अपना-पराया यहाँ कोई नहीं 

सब कैमिकल की बातें हैं


दिखे पात्र दुखी चलचित्र में

मन द्रवित हो जाता है 

जितना कभी किसी से न जुड़ा 

दिल उससे जुड़ जाता है 


मौसम-बन्धु-बान्धव-आदि

सब आते-जाते रहते हैं 

दिल आता है, दिल जाता है 

चलायमान सब रहते हैं 


जीवन जड़ में, जड़ जीवन में

परिवर्तित होता जाता है 


राहुल उपाध्याय । 21 अगस्त 2021 । सिएटल 


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3 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 22 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Amrita Tanmay said...

बहुत ही सुन्दर सृजन ।

Hindisuccess.Com said...

हिंदी रचना संसार में अनुपम साहित्य। सुंदर और प्रेरणास्पद ब्लाग।
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