उसने मुझे अपना कहा और कहती रही कहती रही कहती रही कहती रही कहती रही रात कब सुबह हो गई पता ही नहीं चला सब मुझे बेसुरा कहते हैं और वह मेरे गीत सुनने को लालायित रहती है प्रेम करती है प्रेम में अंधी नहीं है वो अच्छे-बुरे की समझ है उसे न जाने क्या पसन्द है उसे मेरे बोल? मेरे भाव? मेरा दिल? हम मिलें नहीं कभी मिलने की उत्सुकता में सातवें आसमान पर बैठी है क्यूँ ख़ुशी मुझे ढूँढ ही लेती है और मुझे ख़ुशनसीब कहने पर कर देती है मजबूर क्यूँ अफ़ग़ानिस्तान मुझसे दूर है और जन्नत मेरे पास है क्यूँ कोराना तो दूर की बात है मुझे सरदर्द भी नहीं हुआ आज तक है राहुल उपाध्याय । 29 अगस्त 2021 । सिएटल https://mere--words.blogspot.com/2021/08/blog-post_29.html?m=1
Sunday, August 29, 2021
ख़ुशनसीब
Posted by Rahul Upadhyaya at 3:05 PM
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5 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 31 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आत्मविश्वास हो तो सभी समस्याओं का हल मिल जाता है | सुंदर लिखा |
किसी की नज़र ना लगे
बहुत खूब
खुशनसीबी ही तो है ये ।
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