तुम ख़्वाब में आए हक़ीक़त बनकर
झूठ में सच की एक सूरत बनकर
वलवले हसीन से हसीन हो गए
एक से एक ख़ूबसूरत बनकर
(वलवले = उमंगें)
आते-जाते रहें मतभेद हमारे
आफ़त या मुसीबत बनकर
जो टिका रहा वो मोहब्बत था
साँसों की तरह आदत बनकर
प्रेम ही देता ईंधन जीवन को
जीव से जीव की लगावत बनकर
राहुल उपाध्याय । 9 अगस्त 2021 । सिएटल
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