कभी उनसे था मेरे दिल को क़रार आया
आज फिर उनको नफ़रत से भरा पाया
क्या हुआ कैसे अनायास ये मौसम बदला
के गया साथ और साथ गया साया
चलते काँटों को भला होगी ये खबर कैसे
आज किस मोड़ पे ये वक्त हमें ले आया
क्या नहीं है जो ज़माने ने दिया है मुझको
एक मैं हूँ जो कहूँ उनको भटकती माया
राहुल उपाध्याय । 3 जनवरी 2022 । सिएटल
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