Friday, January 14, 2022

इस बार

इस बार

तुम शायद न रूक पाओ

और चुन लो कोई 

जीवन साथी 


हर बार की तरह

इस बार

मैं 

झूठ नहीं कह पाऊँगा कि

तुम खुश

तो मैं भी खुश


वह दर्द 

जो कि सिर्फ़ 

किताबों में पढ़ा था

फ़िल्मों में देखा था

गीतों में सुना था

वह भी 

मेरे हिस्से आ जाएगा 


देवदास 

मजनूँ 

फ़रहाद

जैसे ऑथर बैक्ड रोल्स 

मेरी ख़ुशक़िस्मती है 

या मेरा मज़ाक़ 

मैं समझने में

असमर्थ हूँ 


राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2022 । सिएटल 




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