अब जो होगा
बुरा होगा
न होगा
तो ख़ुदा होगा
जब तक था प्रेम
था मोहपाश
अब जा के कहीं
सफ़र हल्का होगा
बचपन से अब तक
न पुकारा जिसे
उसे पुकारने से
अब क्या होगा
सब नियम हैं
नियंत्रण के हथकंडे
सिमरन में भी उसका ही
कोई फ़ायदा होगा
न पढ़ता है कोई
न समझता है कोई
क़िस्मत लिखनेवाला भी
अपनी क़िस्मत को रोता होगा
राहुल उपाध्याय । 24 जनवरी 2022 । सिएटल
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