Thursday, January 27, 2022

शाम होते-होते भूल जाता हूँ

शाम होते-होते भूल जाता हूँ 

सुबह किसने मुझे जगाया था


जो किया 

मैंने किया

इसमें न किसी का हाथ था


नहाया-धोया

पकाया-खाया

मेल देखी-मेल भेजी

कुछ पढ़ा-कुछ लिखा

कुछ समझा-कुछ समझाया 


सब कुछ तो मैंने किया

इनमें न किसी का हाथ था


शाम होते-होते भूल जाता हूँ 

सुबह किसने मुझे जगाया था

जब असहाय था

किसने हाथ बढ़ाया था


राहुल उपाध्याय । 27 जनवरी 2022 । सिएटल 





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