शाम होते-होते भूल जाता हूँ
सुबह किसने मुझे जगाया था
जो किया
मैंने किया
इसमें न किसी का हाथ था
नहाया-धोया
पकाया-खाया
मेल देखी-मेल भेजी
कुछ पढ़ा-कुछ लिखा
कुछ समझा-कुछ समझाया
सब कुछ तो मैंने किया
इनमें न किसी का हाथ था
शाम होते-होते भूल जाता हूँ
सुबह किसने मुझे जगाया था
जब असहाय था
किसने हाथ बढ़ाया था
राहुल उपाध्याय । 27 जनवरी 2022 । सिएटल
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