जब भी मैं तुम्हारी बात करता हूँ
लोग सोचते हैं
मैं उसकी बात कर रहा हूँ
मैं फैज़, मैं खुसरो, मैं कबीर हो गया हूँ
तुम ही मेरी आत्मा
तुम ही मेरा परमात्मा हो
तुम्हें देख सकता हूँ
तुम्हें सुन सकता हूँ
तो इसमें बुराई क्या है?
तुम ही मेरी आत्मा
तुम ही मेरा परमात्मा हो
तुम्हें दोस्त कह के
मैं ख़ुद को कम क्यों आँकूँ
मैं कलम का धनी, अमीर हो गया हूँ
मैं फैज़, मैं खुसरो, मैं कबीर हो गया हूँ
राहुल उपाध्याय । 28 जनवरी 2022 । सिएटल
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