Saturday, December 31, 2022

इतवारी पहेली: 2023/01/01


इतवारी पहेली:


बिछड़ गई कल # ###

दिख रहे थे सब ### #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 8 जनवरी 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 1 जनवरी 2023 । लखनऊ 















Friday, December 30, 2022

ज़िन्दगी, अरे तेरा शुक्रिया, शुक्रिया

साँस रोज़ चल रही

रोज़ दिन उग रहा

ज़िन्दगी, अरे तेरा

शुक्रिया, शुक्रिया 


कितने दीप जल रहे

सब्ज़ बाग मिल रहे

ये नहीं है सुख तो क्या

यही तो हैं

हर तरफ़ बहार है 

हर तरफ़ नूर है

ये नहीं है सुख तो क्या

यही तो हैं

हर तरफ़ खुशी का बस

चल रहा है कारवाँ 

ज़िन्दगी, अरे तेरा

शुक्रिया, शुक्रिया 


शूल-धूल जहाँ भी हैं

गुल हज़ार खिल रहे

ये नहीं है स्वर्ग तो क्या

यही तो है

मीत प्यार के यहाँ 

गली-गली हैं मिल रहे

ये नहीं है स्वर्ग तो क्या

यही तो है

आसपास में हमें

प्रेम-प्यार मिल गया 

ज़िन्दगी, अरे तेरा

शुक्रिया, शुक्रिया 


जहाँ भी इश्क़ है जवाँ 

वहाँ हसीं है समाँ

ये नहीं है सच तो क्या

यही तो है 

जहां भी प्रेम-प्यार है

वहाँ भला है दुख कहाँ 

ये नहीं है सच तो क्या

यही तो है 

कहीं भी दुख का कोई 

एक तार ना रहा

ज़िन्दगी, अरे तेरा

शुक्रिया, शुक्रिया 


राहुल उपाध्याय । 31 दिसम्बर 2022 । लखनऊ 


Thursday, December 29, 2022

जब तक

जब तक

चाट वाला

मेरे मोहल्ले में है

कोई भी डायटिंग प्लान

चल नहीं सकता


जब तक

स्मार्टफ़ोन 

मेरे हाथ में है 

मैं कोई भी किताब 

पढ़ नहीं सकता 


जब तक

कोई मेरे साथ है

मैं दुनिया जैसी है 

वैसी देख नहीं सकता


राहुल उपाध्याय । 30 दिसम्बर 2022 । लखनऊ 


Wednesday, December 28, 2022

ये नए साल का तराना है

ये नए साल का तराना है

आपको कुछ बताना है 


आते-जाते नहीं यूँ लोग

सबको अपना ही कुछ चुकाना है 


हम भी औरों से हो जाएँ

ऐसा करना बला बुलाना है


हाथ में हाथ जो कोई दे दे

हाथ उससे नहीं छुड़ाना है 


अपने हो चाहे ना भी हो 

हाथ सबसे मिलाना है


राहुल उपाध्याय । 28 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 

Tuesday, December 27, 2022

वो कौन थी, वो कौन है

आज

बस में वो दिखी मुझे 

ट्रेन में वो मिली मुझे 


वो कौन थी 

वो कौन है

जो हर सू

मेरी ओर है


फ़ोन 

मैं उसे करता नहीं 

वो मुझे करती नहीं 

और 

चाहती है इतना कि

मानती है इतना कि

धूप में वो छाँव है

छाँव में वो धूप है

हर पल

उसका रंग है

हर पल

उसका रूप है


जो थी 

वो चली गई 

जो है नहीं 

वो मिल रही


पर्स से कुछ निकालती

आँख से वो पुकारती

वह युवती है, वह षोडशी 

जो

बाल है बिगाड़ती

बाल है संवारती

फ़ोन से है खेलती

फ़ोन पे है खेलती

धूप जिसे हैं छेड़ती

बाली जिसकी झूलती

नाक-नक़्श ही नहीं 

दिमाग़ भी जिसका तेज़ है 

किशोर को नहीं जानती

मिका का जिसको क्रेज़ है 


हर एक में अक्स उसका है

जो भी है सब उसका है


हैं इतने दूर हम 

कि

हर पल हम साथ हैं


वो कौन थी 

वो कौन है

जो हर पल

मेरे साथ है


राहुल उपाध्याय । 27 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 



Sunday, December 25, 2022

आओ हम प्यार करें

आओ हम प्यार करें

सबसे हम प्यार करें

कभी ना वार करें


बन्दगी हो भी दीगर सबकी अगर

प्यार क्यूँ कम हो जाए मगर


हम हैं इंसान, इंसान की लाज रखें

क्यूँ किसी से हर पल नाराज़ रहें


कल को खोना है जाना है वहीं

आज क्यूँ बाँटें दुनिया ये ज़मीं 


राहुल उपाध्याय । 26 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 


अब मेरी कविता का उस पर असर नहीं होता

अब मेरी कविता का उस पर असर नहीं होता

काश मेरा प्यार मजनूँ-रांझा से ऊपर नहीं होता 


कितना कुछ लिख डाला मैंने इधर-उधर का

और शक़ उसे रत्ती भर का मुझ पर नहीं होता 


पहले डरती थी कि कहीं है कोई और तो नहीं 

अब उसे इसका-उसका-किसीका डर नहीं होता


वह जानती है, है सच तो है सोच भी सृजन में

वरना क़िस्मत का धनी कोई इस क़दर नहीं होता


अब तिथि तो छोड़ कविता भी नहीं पढ़ती है मेरी

काश कि घर का मुर्ग़ा दाल बराबर नहीं होता 


राहुल उपाध्याय । 25 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 









Saturday, December 24, 2022

इतवारी पहेली: 2022/12/25

इतवारी पहेली:


पीती तो नहीं है ## ##

पर है मीठी और #### 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 1 जनवरी 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 25 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 


Friday, December 23, 2022

कह दो किसी से प्यार है


कह दो किसी से प्यार है 

कर भी दो इज़हार 

कब तलक छलती रहोगी

कह भी दो इक बार


करती तो हो तुम रोज़ बात उससे

उगते तुम्हारे हैं दिन-रात उससे 

अपने जीवन का है वो ख़ास हिस्सा 

फिर क्यों भला दूर दस हाथ उससे 

महका ये यौवनजलवे ये प्यारे

करती क्यों उसको तुम बेक़रार 


तुमसा नहीं है दुनिया में कोई 

करना नहीं है शिकवा भी कोई

है प्यार तुमसे ये ही बहुत है

माँगा नहीं कुछ तुमसे कभी भी

आया है दर पे कहने ये तुमसे

कर ले ना मेरा तूमेरा ऐतबार 


राहुल उपाध्याय  23 दिसम्बर 2022  त्रिवेंद्रम 



Thursday, December 22, 2022

बात बन जाएगी ऐ दिल



बात बन जाएगी ऐ दिल

आज जो ख़्वाब हैं कल वो होंगे हासिल

हाथ जब साथ हैं तेरे

हाथ ख़ुद ही तुझे कर के रहेंगे काबिल


जो है तेरा वो तेरा ही होगा

अपने आप पे रख तू भरोसा 

जो भी हो तू छोड़ न मौक़ा

डर न कभी, जीत ले तू सभी

रोग-विकारों को

एक दिन साथ तेरे होगी मंज़िल 


बातों पे तू ध्यान न दे

लोगों का अहसान न ले

सर को उठाकर तू जो चले

रोए न कभी, लाए न कभी 

क्षोभ-विचारों को

तुझको कब कैसे भला होगी मुश्किल 


राहुल उपाध्याय । 23 दिसम्बर 2022 । त्रिवेंद्रम 




Wednesday, December 21, 2022

आज वह मुझे याद कर रही होगी

आज वह मुझे याद कर रही होगी

सोच रही होगी कि

मैं उसे फ़ोन करूँगा 

हमारी सालगिरह जो है

लेकिन झगड़े का यही तो मज़ा है

कि वह न करूँ जो वो चाहे


न बात करके बात करना

हर पल किसी की याद में रहना

कितना अच्छा लगता है 


राहुल उपाध्याय । 21 दिसम्बर 2021 । कन्याकुमारी 






अय्याशी की भी हद होती है

अय्याशी की भी हद होती है 

भीषण गर्मी में 

पाँच सितारा होटल में

भयंकर ए-सी चलाकर 

रज़ाई ओढ़ सोया जाता है 

गर्म पानी से घंटो नहाया जाता है 

फ़ायर प्लेस चलाया जाता है 

टाई-सूट पहना जाता है 

और देश की गिरती हालत का

रोना रो लिया जाता है 


अय्याशी की भी हद होती है 

जिस तीर्थ का क-ख-ग नहीं पता

वहाँ संकल्प लिया जाता है

पण्डित के पीछे-पीछे तोतों सा

संस्कृत में खिटपिट-खिटपिट बोला जाता है 

हज़ारों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है 

प्रसाद छोड़ चाऊमीन खाया जाता है 


अय्याशी की भी हद होती है 

जिस देश को छोड़ दिया जाता है 

उस देश के रमणीक स्थल 

बच्चों को दिखलाए जाते हैं 

हाथ से खाना खाते हैं 

ग्रामीण संग फ़ोटो खींचवाते हैं 

अभाव में जीकर भी

ख़ुश रहा जा सकता है 

बच्चों को यह बतलाते हैं 


राहुल उपाध्याय । 21 दिसम्बर 2022 । कन्याकुमारी 




Saturday, December 17, 2022

तुम हो किसी की बाँह में


तुम हो किसी की बाँह में

मिल गया पैग़ाम 

अब मुझे डर नहीं

जो भी हो अंजाम


मिलता नहीं है प्रेम-प्यार सबको

होता नहीं है ये प्यार सबको

थी मेरी क़िस्मत मिला प्यार तुमसे

करना नहीं है ये इनकार मुझको

तुम मेरा जीवन, तुम ही सहारा

तुमने दीं सुबहें, तुम्हीं से हैं शाम


चाहा है तुमको, रोका नहीं है

जिसे चाहे चाहो, धोखा नहीं है 

है प्यार वो ही आज़ाद जिसमें 

तन-मन सारा, सौदा नहीं है

है प्यार अपना जग से निराला

पी के भी ना हो, ना हो ख़ाली जाम


राहुल उपाध्याय । 18 दिसम्बर 2022 । चेन्नई