कह दो किसी से प्यार है
कर भी दो इज़हार
कब तलक छलती रहोगी
कह भी दो इक बार
करती तो हो तुम रोज़ बात उससे
उगते तुम्हारे हैं दिन-रात उससे
अपने जीवन का है वो ख़ास हिस्सा
फिर क्यों भला दूर दस हाथ उससे
महका ये यौवन, जलवे ये प्यारे
करती क्यों उसको तुम बेक़रार
तुमसा नहीं है दुनिया में कोई
करना नहीं है शिकवा भी कोई
है प्यार तुमसे ये ही बहुत है
माँगा नहीं कुछ तुमसे कभी भी
आया है दर पे कहने ये तुमसे
कर ले ना मेरा तू, मेरा ऐतबार
राहुल उपाध्याय । 23 दिसम्बर 2022 । त्रिवेंद्रम
1 comments:
बहुत खूब 👌👌
Post a Comment