Tuesday, December 6, 2022

हर किसी का चाँद हो

हर किसी का चाँद हो

यह ज़रूरी नहीं 

बुध और शुक्र के यहाँ 

अकाल है

शनि के एक नहीं

साठ के पार हैं


और यह भी ज़रूरी नहीं कि

वो उपग्रह हो

किसी से कमतर हो


धरती का एक ही चाँद है 

लेकिन धरती पर

अनगिनत चाँद हैं 

सब अपने ही नूर से रोशन

किसी के मोहताज नहीं 

वे चाँद है कि नहीं 

यह जानने के लिए 

किसी टेलीस्कोप की ज़रूरत नहीं


बस चाँद चाँद होते हैं 

ऐसे कई चाँद हैं

जिनसे मैं मिला नहीं 

जिन्हें मैंने देखा नहीं 

सिर्फ़ बातें की हैं 


वे चाँद हैं कि नहीं 

यह उनके व्यवहार से

लहजे से

प्यार से

दिख जाता है

जैसे चाँद सुकून देता है 

वैसे ही वे भी सुकून देते हैं 


जब भी मिलूँगा 

पाँव रख कर नहीं 

गले लगा कर मिलूँगा 


राहुल उपाध्याय । 7 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 

http://mere--words.blogspot.com/2022/12/blog-post.html?m=1


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