Wednesday, December 7, 2022

हाँ आजकल मन मेरा दिलशाद है

हाँ आजकल मन मेरा दिलशाद है

दुख बिना, सुख बिना जीवन बर्बाद है 


जीने के हैं दिन चार ये जी लेंगे हम मगर

जीए न किसी की चाह में तो हैं ये इक ज़हर 


जली थी कभी आग तो जल गए थे शहर

जले न कभी आग तो चल सकेगा न घर


जहाँ भी जहां में जाऊँ मैं, पाई है इक लहर

जीने की है जिनमें चाह वो जी रहे हर पहर


राहुल उपाध्याय । 8 दिसम्बर 2022 । गुरुग्राम 


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