मैं कितना उदास हूँ
यह मैं ही जानता हूँ
उसकी उदासी की तो कोई सीमा ही नहीं है
फिर भी वो आशान्वित है
मैं एक बार दुख सह सकता हूँ
दोबारा वह राह पकड़ूँगा ही नहीं
और वह है कि
फिर से कमर कस के तैयार है
उसकी आशाएँ, उमंगें
सारी लुट गईं
उसकी आँखों के सामने
उससे उसका सपना
छीन लिया गया
फेंक दिया गया
किसी को दोष भी नहीं दे सकते
मन हल्का करने के लिए
स्वीकारने के अलावा कोई चारा नहीं
इस बार मैं हार गया
और उसने साबित कर दिया
कि उम्मीदें कभी ख़त्म नहीं होतीं
मैं गीत लिख सकता हूँ
कि ऐ मेरे दिल तू कोशिश तो कर
हार जाए तो क्या
हार ही पाए तो क्या
फिर से हिम्मत जुटाने की कोशिश तो कर
उन पर अमल नहीं कर सकता
राहुल उपाध्याय । 10 दिसम्बर 2022 । दिल्ली
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