तुम हो किसी की बाँह में
मिल गया पैग़ाम
अब मुझे डर नहीं
जो भी हो अंजाम
मिलता नहीं है प्रेम-प्यार सबको
होता नहीं है ये प्यार सबको
थी मेरी क़िस्मत मिला प्यार तुमसे
करना नहीं है ये इनकार मुझको
तुम मेरा जीवन, तुम ही सहारा
तुमने दीं सुबहें, तुम्हीं से हैं शाम
चाहा है तुमको, रोका नहीं है
जिसे चाहे चाहो, धोखा नहीं है
है प्यार वो ही आज़ाद जिसमें
तन-मन सारा, सौदा नहीं है
है प्यार अपना जग से निराला
पी के भी ना हो, ना हो ख़ाली जाम
राहुल उपाध्याय । 18 दिसम्बर 2022 । चेन्नई
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