अय्याशी की भी हद होती है
भीषण गर्मी में
पाँच सितारा होटल में
भयंकर ए-सी चलाकर
रज़ाई ओढ़ सोया जाता है
गर्म पानी से घंटो नहाया जाता है
फ़ायर प्लेस चलाया जाता है
टाई-सूट पहना जाता है
और देश की गिरती हालत का
रोना रो लिया जाता है
अय्याशी की भी हद होती है
जिस तीर्थ का क-ख-ग नहीं पता
वहाँ संकल्प लिया जाता है
पण्डित के पीछे-पीछे तोतों सा
संस्कृत में खिटपिट-खिटपिट बोला जाता है
हज़ारों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है
प्रसाद छोड़ चाऊमीन खाया जाता है
अय्याशी की भी हद होती है
जिस देश को छोड़ दिया जाता है
उस देश के रमणीक स्थल
बच्चों को दिखलाए जाते हैं
हाथ से खाना खाते हैं
ग्रामीण संग फ़ोटो खींचवाते हैं
अभाव में जीकर भी
ख़ुश रहा जा सकता है
बच्चों को यह बतलाते हैं
राहुल उपाध्याय । 21 दिसम्बर 2022 । कन्याकुमारी
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