फूल तुम्हें भेजा है ख़त में
फूल नहीं मेरा दिल है
प्रियतम मेरे मुझको लिखना
क्या ये तुम्हारे काबिल है?
'फ़ूल' मुझे समझा है तुमने
या मिला तुम्हें 'भेजा' कम है?
फूल नहीं आता ई-मेल में
आता सिर्फ़ इक आईकन है
फूल जो असली भेजा होता
दो दिन में मुरझा जाता
आईकन की है बात निराली
हर दिन इसका रूप सुहाता
कंजूसी का काम हो करते
फिर गढ़ते हो झूठी कहानी
ऐसी प्रीत से हासिल क्या है?
कैसे कटेगी ये ज़िंदगानी?
सारी ख़्वाहिशें पूरी करूँगा
हाथ तुम्हारा हाथ में होगा
ओबामा से स्टिमुलस मिलेगा
पे-चैक भी तब हाथ में होगा
आओ मिल कर प्यार करें
और बंद करें आपस की लड़ाई
रिसेशन है तो रिसेशन से निपटें
इसी में है हम सब की भलाई
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में
हाँ, फूल नहीं इक आईकन है
समझ सको तो समझना इसको
इसी को कहते जीवन है
प्यार करेंगे तुमसे तब तक
जब तक सीने में दिल है
पास नहीं है पैसा तो क्या
प्यार का कहीं बनता बिल है?
सिएटल 425-445-0827
12 फ़रवरी 2009
(इंदीवर से क्षमायाचना सहित)
==================
फूल = flower; फ़ूल = fool; भेजा = 1. sent 2. brain
ई-मेल = e-mail; आईकन = icon; ओबामा = Obama;
स्टिमुलस = stimulus; पे-चैक = pay-cheque; रिसेशन = recession
फूल नहीं मेरा दिल है
प्रियतम मेरे मुझको लिखना
क्या ये तुम्हारे काबिल है?
'फ़ूल' मुझे समझा है तुमने
या मिला तुम्हें 'भेजा' कम है?
फूल नहीं आता ई-मेल में
आता सिर्फ़ इक आईकन है
फूल जो असली भेजा होता
दो दिन में मुरझा जाता
आईकन की है बात निराली
हर दिन इसका रूप सुहाता
कंजूसी का काम हो करते
फिर गढ़ते हो झूठी कहानी
ऐसी प्रीत से हासिल क्या है?
कैसे कटेगी ये ज़िंदगानी?
सारी ख़्वाहिशें पूरी करूँगा
हाथ तुम्हारा हाथ में होगा
ओबामा से स्टिमुलस मिलेगा
पे-चैक भी तब हाथ में होगा
आओ मिल कर प्यार करें
और बंद करें आपस की लड़ाई
रिसेशन है तो रिसेशन से निपटें
इसी में है हम सब की भलाई
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में
हाँ, फूल नहीं इक आईकन है
समझ सको तो समझना इसको
इसी को कहते जीवन है
प्यार करेंगे तुमसे तब तक
जब तक सीने में दिल है
पास नहीं है पैसा तो क्या
प्यार का कहीं बनता बिल है?
सिएटल 425-445-0827
12 फ़रवरी 2009
(इंदीवर से क्षमायाचना सहित)
==================
फूल = flower; फ़ूल = fool; भेजा = 1. sent 2. brain
ई-मेल = e-mail; आईकन = icon; ओबामा = Obama;
स्टिमुलस = stimulus; पे-चैक = pay-cheque; रिसेशन = recession
2 comments:
इधर मादरे वतन में चढ्ढी तुझे भेजा है सनम चल रहा है -यह निपट जाय तब आपकी कविता पढी जाय !
हम तो हर बार वाह-वाह ही कहते हैं.
Post a Comment