देने को तो दे ही चुके हैं
सब देनेवाले सुख-समृद्धि तुम्हें
किस बात की है अब कमी तुम्हें
किस बात की है तुम्हें चाह, प्रिये
लोहड़ी-संक्रान्ति-वसन्त पंचमी
होली-राम नवमी-जन्माष्टमी
ऋद्धि-सिद्धि-दीप-दीपोत्सव
हैलोवीन-थैंक्सगिविंग-क्रिसमस ईव
सब सफल हों, सब सहर्ष हों
सबमें रचें-बसें कर्णप्रिय गीत, प्रिये
जब भी चाहो, ख़ुद को पाओ
ख़ुद से ना तुम दूर रहो
मिथ्या-ईर्ष्या-बैरी-शत्रुता
इनकी न कभी कोई छाँह पड़े
बस इतनी सी मेरी प्रार्थना
झोली में नहीं कुछ ख़ास, प्रिये
देने को तो दे ही चुके हैं ...
1 जनवरी 2017
सिएटल | 425-445-0827
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