Thursday, June 25, 2020

गाज

दो गज की दूरी
गाज ने कब मानी
होती हो तो हो
किसी की भी हानि

(बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी
तेरी नींद उड़े ते उड़ जाए)

गाज वैसी ही होती है
जैसी ईश्वर की कृपा
सबके लिए बराबर
न अमीर, न ग़रीब
न पूरब, न पश्चिम 
कुछ नहीं देखती
सबके लिए बराबर 

कुछ चपेटें में आ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं

क्यों?
क्योंकि 
जहाँ परिवार बढ़ते है
खेत छोटे हो जाते हैं
और मशीनीकरण नहीं हो पाता है

और हाथ ज़्यादा होंगे 
तो ज़ाहिर है मशीनें तो
दरकिनार हो ही जाएगी

मेहनत का फल मीठा होता है?

तो डायबीटीज़ वाले क्या कुछ न करें?


राहुल उपाध्याय । 25 जून 2020 । सिएटल

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