Monday, February 7, 2022

थी आवाज़ उनकी

थी आवाज़ उनकी

शब्द किसी और के

संगीत किसी और का


जगजीत हो

या लता

किशोर हो

या मुकेश 


जो सुनाई देता है 

वही है चेहरा

वही है पहचान 

वही है जो कहता

कि 

नाम गुम जाएगा 

तुम मुझे यूँ भूला न पाओगे 

रहें ना रहें हम 

कल भी सूरज निकलेगा 

पर हम न नज़र आएँगे 

ये दौलत भी ले लो

ये जीवन है 

ज़िन्दगी का सफ़र 

कहाँ तक ये मन को अँधेरें छलेंगे 

जाने कहाँ गए वो दिन 


चलो इतना तो हुआ

कि हम धर्मेंद्र हटा

किशोर तक आ गए 

हेमा को छोड़ 

लता को पहचान गए


कभी किसी दिन

योगेश, इरशाद, प्रेम धवन भी पहचाने जाएँगे 


राहुल उपाध्याय । 7 फ़रवरी 2022 । सिएटल 




इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: