Friday, February 11, 2022

लता

अभी लता को गए

एक हफ़्ता भी नहीं हुआ है 

और लोग बोर होने लगे हैं 

उनके गीतों की पोस्ट्स से

उनसे सम्बंधित किसी बात से 


जिस दिन गुज़री थी

लगा था 

जैसे कोई पहाड़ टूट पड़ा है 

कोई अपना चला गया है 

न हँसने का मन था

न गाने का

बस उन्हीं की यादों में 

खो जाने को दिल करता था


अच्छा लगा

देखकर भीड़ 

जो उनके साथ 

चिताग्नि तक गई


अच्छा लगा

राजकीय शोक 

जो दो दिन तक रहा

झण्डे झुके रहें

आकाशवाणी से शोक धुन

बहती रही


लेकिन अब?

कब तक रोओगे?

आगे बढ़ो 

जो होना था हो गया

देखो

यह वेलेण्टाइन डे आ गया

और यह न पसन्द हो तो

पुलवामा को ही याद कर लो


कुछ भी करो

चुनाव पकड़ो

हिजाब पर लड़ो

बस लता को छोड़ो


मैं क्या करूँ?

मेरे पास तो एक लम्बी फ़ेहरिस्त है 

उनके गानों की


मैं और मेरी तन्हाई 

अक्सर बातें करते हैं 

उनके गानों की


राहुल उपाध्याय । 11 फ़रवरी 2022 । सिएटल 













इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


1 comments:

Sudha Devrani said...

सही कहा आपने ...हर दिन नयापन चाहिए यहाँ सबको...रोना हो या हँसना बस वजह नयी हो....
बहि सुन्दर सृजन