Saturday, February 5, 2022

वसंत पंचमी

मान लो कि 

व्हाट्सएप न होता 

इंस्टाग्राम न होता

फ़ेसबुक न होता

तो क्या हम फिर भी 

शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर

लोगों को पोस्टकार्ड भेजते?

कभी पटेल तो कभी अम्बेडकर की

जन्मतिथि पर बधाई भेजते?


आज वसंत पंचमी क्या आ गई

आफ़त ही आ गई

हर कोई संस्कृत का प्रकाण्ड पण्डित बन बैठा है 

और एक से बढ़कर एक

धाँसू श्लोक, स्तुतियाँ, प्रार्थनाएँ, वंदनाएँ 

भेज रहा है 

और साथ ही हिन्दी और अंग्रेज़ी में 

उनके अर्थ भी भेज रहा है 


कहते हैं ना कि

फूल किसी को दो

तो ख़ुद के हाथ भी महक उठते हैं 

झूठे बर्तन भी अगर धो दो

तो ख़ुद के हाथ भी परिष्कृत हो जाते हैं 


लेकिन यहाँ तो

अंगूठा दबा 

और खेल ख़त्म 

इधर का माल उधर 

ख़ुद इसे क्यों पढ़ें? क्यों समझें?


कल से अगर यह शर्त हो कि

जो भी भेजना हो 

उसे स्वयं लिखकर भेजें 

तो सारी बकबक कल ही बंद हो जाए


राहुल उपाध्याय । 5 फ़रवरी 2022 । सिएटल 




इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: