Monday, May 15, 2023

एक इसने और एक मैंने

(आज दोपहर भ्रमण करते वक्त मैंने एक ख़रगोश को देखा)


एक इसने

और एक मैंने

दोनों ही नहीं सुनी

मौसम की भविष्यवाणी 

और निकल पड़े 

दुनिया निहारने


परिन्दा भी पर नहीं मार रहा है

पत्ते ख़ामोश हैं

हिल-डुल नहीं रहे हैं

हवा भी बंद है

शायद वो कहीं आराम कर रही है 

या आज घर से निकली ही न हो


हर तरफ़ सन्नाटा है 

दहशत है


इकत्तीस डिग्री के अनुमान का इतना ख़ौफ़ है 

तो 

नर्क की आग में उबलते तेल के भय से

तो इंसान काँप ही जाता होगा

क्या से क्या कर देता होगा


भय की आशंका में

आज़ादी की बलि

सबसे पहले दी जाती है 


भय होता नहीं है

पैदा किया जाता है 


राहुल उपाध्याय । 15 मई 2023 । सिएटल 





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2 comments:

नूपुरं noopuram said...

एक अलहदा दृष्टिकोण.

ज्योति-कलश said...

बहुत खूब