Saturday, May 27, 2023

वह डाँटती है, टोकती है, रोकती भी है

वह डाँटती है, टोकती है, रोकती भी है 

इक वही तो है जो मेरा सोचती भी है 


अपने ही हाथों से भरे थे थाल जिसने

लग के गले से वो ही मुझे रोकती भी है 


चाहे लिखूँ, या न लिखूँ, रचना मैं कोई सी

पल-पल की है ख़बर उसे, ज्योतषी भी है 


आया हूँ मिल के जब से उसे हाल बेहाल है 

चाहत है इतनी सख़्त मगर दोस्ती भी है 


होगा विसाल और अभी, उम्मीद साथ है

साँसों में है तपिश अभी और ज़िन्दगी भी है 


राहुल उपाध्याय । 27 मई 2023 । स्पोकेन





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