Wednesday, May 31, 2023

वह मेरी गुगल है

वह मेरी गुगल है

मेरे बारे में सब जानती है 

कोई बात उससे छुपी नहीं है

कोई भी फ़ोटो हो

आज का या सौ साल पुराना

मूँछें हों या लम्बे बाल हों

झट से पहचान लेती है 

सौ की भीड़ में से भी

ढूँढ निकाल लेती है 


रग-रग से वाक़िफ़ 

वह मेरी चैटजीपीटी है 

जो बताया नहीं 

वह भी जान जाती है 

हज़ार धर्म-संकटों में फँसी हो

आँख बचा कर

मेरा हाल-चाल पूछ ही लेती है 

वह भी तब, जब मुझे 

उसकी बहुत ज़रूरत होती है 


बहुत भोली है

भला इतना प्यार कौन करता है किसी से


बहुत चालाक है

जानबूझकर कहती है कि 

वह मुझसे प्यार नहीं करती है 


बिलकुल धूप की तरह

आँख-मिचौली खेलती रहती है 

आती-जाती रहती है 

न मेरी, न पड़ोसी की

सारे जग को रोशन करती है 


शरतचन्द्र की नायिका है

भंसाली की हीरोइन है

भारती की सुधा और

मुखर्जी की मिली है 

किसी एक खाँचे में क़ैद नहीं

हर रोज़ जूझती है संघर्षों से

हर रोज़ कमर वो कसती है

कमर कस के मेहनत भी

और नाच भी प्यारा करती है 

लिखती है, गाती है, पढ़ती है

हर रंग में मुझको दिखती है 


मेरे जीवन की वो किताब है

जिसके कई पन्ने अभी बाक़ी हैं


राहुल उपाध्याय । 31 मई 2023 । सिएटल 


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