Wednesday, June 25, 2008

पंचलाईन #2

जिस पर हाथ रखा जाता है उसे गीता कहते हैं
जिस पर दिल आ जाता है उसे प्यारी कहते हैं
जिस पर पाँव पड़ जाता है उसे सॉरी कहते हैं (12)

जो दांत दिखाता है उसे हंसमुख कहते हैं
जो दांत निकालता है उसे डेन्टिस्ट कहते हैं
जो दम निकाल देता है उसे दमा कहते हैं (13)

जो साल भर पढ़ता है उसे मग्गू कहते हैं
जो रात भर पढ़ता है उसे उल्लू कहते हैं
जो गाल पर पड़ता है उसे डिम्पल कहते हैं (14)

जो दुध देती है उसे दुधारी कहते हैं
जो दुध पिलाती है उसे महतारी कहते हैं
जो दुध में पानी मिलाती है उसे मदर डेरी कहते हैं (15)

जब उनका दिल कहता है तो दिला मुझे कहते हैं
जब मेरा मन कहता है तो मना मुझे कहते हैं
जो हम दोनों करते हैं उसे तक़रार कहते हैं (16)

जो हर वक़्त हिलते हैं उन्हें चंचल कहते हैं
जो पोखर में खिलते हैं उन्हें कमल कहते हैं
जो होटल में मिलते हैं उन्हे 'कपल' कहते हैं (17)

जो ज़मीन पर चलती है उसे गाड़ी कहते हैं
जो पानी पर चलती है उसे कश्ती कहते हैं
जिसकी हर जगह चलती है उसे पत्नी कहते हैं (18)

जो जज पहनते हैं उसे विग कहते हैं
जो रानी पहनती है उसे मुकुट कहते हैं
जो बकरे पहनते हैं उसे सेहरा कहते हैं (19)

जो हवा में उड़े उसे पतंग कहते हैं
जो सब से लड़े उसे दबंग कहते हैं
जो तुम्हारी याद दिलाए उसे पलंग कहते हैं (20)

सिएटल,
25 जून 2008
पंचलाईन #1 यहाँ है।

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: